Wednesday, September 26, 2018

बीएचयू में एक बार फिर पसरा तनाव, हिंसा और आगजनी

राणसी का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू परिसर एक बार फिर हिंसक गतिविधियों का शिकार हो गया है.
यहां के सर सुन्दर लाल अस्पताल में किसी मरीज़ की एक बेड की मांग से डॉक्टरों के साथ शुरू हुआ विवाद मार-पीट, हिंसा, तोड़-फोड़, आगजनी और फिर धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गया.
जूनियर डॉक्टर इस समय अपनी मांगों को लेकर वीसी कार्यालय के पास स्थित एलडी गेस्ट हाउस के बाहर धरने पर बैठे हैं और पूरे परिसर में बड़ी संख्या में पुलिसबल और पीएसी को तैनात किया गया है.
इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने 28 सितंबर तक शैक्षणिक कार्य स्थगित करने और रेज़िडेंट डॉक्टरों को 24 घंटे के भीतर छात्रावास खाली करने का अल्टीमेटम दिया है.
बताया जा रहा है कि सोमवार को किसी मरीज़ के साथ बीएचयू परिसर स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में आए उनके परिजनों ने जूनियर डॉक्टरों के साथ कथित तौर पर मारपीट की. यही नहीं, मेडिकल छात्रों के साथ बाहर से आए कुछ लोगों ने धन्वंतरि छात्रावास में घुसकर मारपीट की.
इस घटना के बाद रेज़ीडेंट डॉक्टरों ने परिसर में तोड़फोड़ और आगजनी की. कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और एटीएम में भी तोड़-फोड़ की गई. हिंसा में कई जूनियर डॉक्टर भी गंभीर रूप से घायल हो गए.
विवाद के बाद परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी को बुला लिया गया. मंगलवार सुबह विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एलबीएस, रुइया एनेक्सी और धन्वंतरि हॉस्टल खाली कराने के आदेश जारी कर दिए गए तो वहीं 28 सितंबर तक के लिए विश्वविद्यालय में अवकाश घोषित कर दिया गया.
हॉस्टल खाली कराने संबंधी विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेश से छात्रों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर आ गया. कई छात्र तो हॉस्टल खाली भी करने लगे लेकिन ज़्यादातर छात्र प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठ गए हैं. छात्र चीफ़ प्रॉक्टर प्रोफ़ेसर रोयाना सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं.
धरने में शामिल एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम हॉस्पिटल में पिट भी रहे हैं, हमें कोई सुरक्षा भी नहीं दी जा रही है. दूसरे हमसे ही हॉस्टल खाली कराया जा रहा है. हॉस्पिटल में आए दिन मरीज़ों के तीमारदार जूनियर डॉक्टरों से मारपीट करते हैं लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन कभी गंभीर नहीं दिखता."
इस बीच, बीएचयू स्थित ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों ने पूरी तरह से अपनी सेवाएं देना बंद कर दिया है.
स्थानीय पत्रकार नीलांबुज तिवारी कहते हैं, "'ट्रॉमा सेंटर में दुर्घटनाग्रस्त मरीज़ आते हैं, ऐसे में लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. सर सुंदरलाल अस्पताल के सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं, सिर्फ़ सीनियर डॉक्टर ही मरीज़ देख रहे हैं. लेकिन समस्या ये है कि सैंपलिंग और जांच का काम तो सब जूनियर डॉक्टर ही करते हैं, इसलिए मरीज़ों को काफ़ी परेशानी हो रही है."
बीएचयू का सर सुंदरलाल अस्पताल न सिर्फ़ वाराणसी बल्कि आस-पास के कई ज़िलों के लोगों के लिए इलाज का भरोसेमंद स्थान है. बड़ी संख्या में लोग यहां इलाज के लिए आते हैं.
घटना के बाद से ही परिसर में जहां एक ओर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. वहीं, अस्पताल में मरीज़ों के परिजन इधर-उधर भटक रहे हैं. हालांकि, अस्पताल के अधीक्षक प्रोफ़ेसर विजयनाथ मिश्र का दावा है कि अस्पताल में ज़रूरी सेवाएं निर्बाध रूप से चल रही हैं.
किसी भी देश के जन-जीवन, लोगों के रहन-सहन, खान-पान और संस्कृति की विशेषता बताने वाली कुछ किताबें होती हैं. लेकिन जापान विलक्षण है. इस देश के बारे में जानने के लिए लोग यू-ट्यूब का सहारा ले रहे हैं.
जापान के 'लोमड़ी गांव' में किलकारी करते लोमड़ी के बच्चों के साथ एक महिला के खेलने वाले वीडियो को 60 लाख से ज़्यादा बार देखा गया है.
'इडियट्स गाइड टू जापानीज़ स्क्वैट टॉयलेट्स' को 30 लाख लोगों ने देखा है. 'मॉडर्न जापानीज़ टेबल मैनर्स' को क़रीब 20 लाख लोग देख चुके हैं.
ये सारे वीडियो नागोया में रहने वाले दंपति रैचेल और जुन योशिज़ुकि ने बनाए हैं. वे 'रैचेल एंड जुन' यू-ट्यूब चैनल चलाते हैं. जापान के आम लोगों के रोज़मर्रा के जीवन को दिखाने वाले उनके वीडियो को अब तक 20 करोड़ बार देखा जा चुका है.
रैचेल और जुन जे-व्लॉगर्स हैं. वे जापानी संस्कृति की ख़ूबियों के बारे में छोटी से छोटी बात बताते हैं और इसके लिए सामान्य लोगों के दैनिक जीवन के असली वीडियो दिखाते हैं.
वे किसी भी विषय पर वीडियो अपलोड करते हैं. जापान के किसी हाई स्कूल का टूर हो या फिर किसी कैप्सूल होटल के छोटे से कमरे में रुकना कैसा होता है. जापान में बहु-नस्लीय होना कैसा होता है, यह भी उनके वीडियो का विषय हो सकता है.
जापान में यू-ट्यूब पहले कभी इतना लोकप्रिय नहीं था. यू-ट्यूब के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख मार्क लेफ़्कोविट्ज़ कहते हैं, "जापान में यू-ट्यूब चैनलों पर अपलोड किए जाने वाले वीडियो 2016-17 के बीच दोगुने हो गए हैं."
रैचेल और जुन के यू-ट्यूब चैनल के 18 लाख सब्सक्राइबर हैं. यह चैनल ही उनकी आजीविका का साधन है. उन्होंने कुछ दूसरे यू-ट्यूब चैनल भी खोले हैं, जैसे जुन्स किचेन. इसके 20 लाख नियमित दर्शक हैं.
यू-ट्यूब चैनल की कमाई कई चीज़ों पर निर्भर करती है. जैसे किसी वीडियो को कितने लोग देखते हैं और जिन देशों में उनके दर्शक हैं, वहां विज्ञापन की दरें क्या हैं.
जे-व्लॉगिंग ने रैचेल और जुन के लिए कमाई के दूसरे रास्ते भी खोले हैं. इन दोनों को वीडियो गेम्स में आवाज़ देने का ऑफर मिला. रैचेल को मॉडलिंग करने के भी प्रस्ताव मिले. इनके अतिरिक्त क्राउडसोर्सिंग साइट पैट्रियॉन से स्पांसरशिप और दर्शकों से दान भी मिले.
जुन जापान की हैं और रैचेल अमरीका के हैं. इंटरनेट पर मशहूर होने की उनकी कोई तमन्ना नहीं थी. 2012 में जब उन्होंने अपना चैनल खोला तो वे इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सिर्फ़ वीडियो शेयर करने के लिए करते थे.
उनके चैनल में दूसरों की दिलचस्पी जगने में ज़्यादा देर नहीं लगी. 2012 में ही उन्होंने एक वीडियो बनाया जिसका शीर्षक था- 'जापान में क्या ना करें' तब तक गिने-चुने लोग ही उनके चैनल के सब्सक्राइबर थे. मगर इस वीडियो को लाखों लोगों ने देखा.

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